डिजिटल डेमोक्रेसी
डिजिटल डेमोक्रेसी परियोजना की पहल पर पन्ना जिला में बना आदिवासी संगठन
आज दिनांक 24 अगस्त 2019 को पृथ्वी ट्रस्ट पन्ना में आदिवासी युवा, युवतियों की बैठक का आयोजन किया गया, जिसमे अम्झिरिया, बडोर, बृजपुर, मनकी, धनौजा, गहरा, मनौर सहित 15 ग्राम पंचायतों के 19 लोग शामिल हुए।
डिजिटल डेमोक्रेसी परियोजना की टीम द्वारा कार्य के दौरान 15 ग्राम पंचायतों में रहने वाले आदिवासी परिवारों के जीवन स्तर, खान पान, शिक्षा का अन्य समुदाय के लोगो के साथ तुलनात्मक आंकलन...
ऑनलाइन शिकायत पर सुधरे हैंडपंप, मिला पीने का साफ पानी
जब उनका परिचय ई-दस्तक केंद्र और ई-वालेंटियर से नहीं था, तब उनके लिए पीने का साफ पानी तक मुहैया नहीं था। हम बात कर रहे हैं पन्ना जिले की बृजपुर ग्राम पंचायत के गिरवानी टोले की। आदिवासी बहुल इस टोले में करीब 150 परिवार रहते हैं। इनमें से सर्वाधिक 110 आदिवासी परिवार हैं। इनके पेयजल के लिए दो हैंडपंप और एक बोर है। हैंडपंप ज्यादातर समय बंद ही रहते थे। मैकेनिक ढूंढे नहीं मिलता था। लोग ग्राम पंचायत में...
लक्ष्मी ने मोबाइल के जरिये पिता को कैसे दिलाई पीएम आवास की राशि, जानने के लिए पढ़े पूरी कहानी
सत्रह वर्षीय लक्ष्मी महज आठवीं पास है। वह आगे और पढऩा चाहती थी, लेकिन परिवार की माली हालत ने इसकी इजाजत नहीं दी। मोबाइल फोन के जरिये अपने हक-हुकूक को समझा। पीएम आवास की जानकारी जुटाई और अपने पिता को यह अनुदान दिलाने में सफल रही। लक्ष्मी के परिवार में माता-पिता के अलावा दो भाई भी हैं। ये पांच सदस्यीय परिवार मजदूरी पर निर्भर है। पन्ना जिले के धनौजा गांव की गौंड आदिवासी ये किशोरी माता-पिता के साथ...
इंटरनेट ने बदल दी युवक की जिंदगी, वह बन गया समाज का मददगार
पन्ना के छोटे से गांव धनौजा के मस्तराम के जीवन की दिशा इंटरनेट ने बदल दी। आदिवासी बहुल इस गांव में मस्तराम इंटरनेट के जरिये कई सरकारी योजनाओं की जानकारी हासिल कर लोगों को उनका लाभ दिलवाता है। इसी के अपनी पढ़ाई से जुड़े विषयों की तैयारी इंटरनेट के जरिये कर लेता है। यू तो मस्तराम के यहां लगभग सबकुछ ठीक है। बड़ा भाई बीएसएनएल में सब इंजीनियर है। बहन एमएससी की पढ़ाई कर रही है, लेकिन तमाम सरकारी...
पांच साल से अंधेरे में था गांव, कैसे हुआ रोशन... जानने के लिए पढ़ें पूरी कहानी
पन्ना जिले की ग्राम पंचायत बृजपुर के रखेल टोला में पांच साल से बिजली नहीं थी। 2013 में ट्रांसफार्मर जला तो बार-बार शिकायत के बाद भी बिजली विभाग वालों ने नहीं बदला। ऊपर से 5000 हजार रुपए बकाया निकालकर तंग किया सो अलग। ग्रामीणों को यह जानकारी नहीं थी कि आगे शिकायत कहां की जाए। इस बीच घर रोशन करने का एक मात्र साधन था, केरोसिन। जिससे लालटेन और चिमनी की रोशनी में सारे काम किए जा रहे थे, लेकिन...